पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी पर खतरा बना हुआ है। इमरान खान अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। आपको बता दें कि 28 मार्च को विपक्षी दल संसद में इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। आपको बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए नेशनल असेंबली के कम से कम 20 फीसदी सदस्यों को एक नोटिस संसद के सचिवालय में जमा करवाना होता है। इसके बाद तीन दिन से पहले या सात दिन बाद इस प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं हो सकती। नेशनल असेंबली में बहुमत से इस प्रस्ताव के मंजूर हो जाने पर प्रधानमंत्री को पद छोड़ना पड़ता है।
इस वक्त नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए 172 वोटों की जरूरत है। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्षी नेता शहबाज शरीफ ने कहा कि इमरान ने देश की इकोनॉमी को बर्बाद कर दिया है। इससे देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। कर्ज लेकर 22 करोड़ जनता को गिरवी रख दिया गया है। वही पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि इमरान इस्तीफा दें और चुनाव में हमारा सामना करें या फिर अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार रहें।हालांकि इमरान खान ने इकोनॉमी संकट का जवाब तेल और बिजली की कीमतों में कटौती के साथ दिया है। इसके बावजूद इमरान की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं।
इमरान खान ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जो भी सांसद उनके खिलाफ वोट करेगा, इसका मतलब यह होगा कि उसने खुद को बेच दिया है। पाकिस्तान के वेहारी जिले की मेलसी में एक रैली में इमरान खान ने विपक्ष को चोरों का गिरोह बताया। वही नवाज शरीफ को गीदड़ और उनके भाई शहबाज को चपरासी और बूट पॉलिश करने वाला बताया। इमरान ने कहा कि पाकिस्तान की सेना उनके साथ है। उन्होंने कहा कि सेना कभी चोरों का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने दावा किया है कि अविश्वास प्रस्ताव में उनके खिलाफ वोट करने के लिए बागी सांसदों को 18करोड़ रुपए देने की पेशकश की गई है। इमरान खान ने कहा कि उन्होंने सांसदों से पैसे लेने और गरीबों में बांटने को कहा है।
इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई के करीब दो दर्जन सांसदों ने भी बगावत कर दी है। इमरान के अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद तीन तरह के हालात बन सकते हैं। एक तो सेना खुद सत्ता संभाल सकती है और कुछ दिनों बाद फिर आम चुनाव कराया जाए। दूसरी स्थिति यह है कि विपक्षी पार्टियां पीएमएल-एन नेता शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री के लिए चुनें। इसके साथ पीपीपी के नेता आसिफ अली जरदारी और उनके बेटे बिलावल भुट्टो भी रेस में होंगे। एक स्थिति यह भी हो सकती है कि इमरान खुद इस्तीफा देकर अपनी पार्टी के दूसरे नेता को प्रधानमंत्री बना दें।